शनिवार, 10 अगस्त 2024

वर्षा रानी [बालगीत]

 336/2024

                 

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


सुखद     सुहानी       वर्षा    रानी।

इसकी    भी    है   एक   कहानी।।


पर्वत    से    नदियाँ     झरती    हैं।

मैदानी    पथ    पर     बढ़ती     हैं।।

बनती   फिर    सागर    को    दानी।

सुखद      सुहानी        वर्षा   रानी।।


सागर  से    जल    भरते    बादल।

छा  जाते  हैं  नभ    से दल   बल।।

उड़कर     मीठा     होता      पानी।

सुखद       सुहानी       वर्षा  रानी।।


साथ    निभाती     बिजली   रानी।

चमके   गरजे      मेघ      सुबानी।।

बचे  न    कोई     छप्पर  -  छानी।

सुखद      सुहानी        वर्षा  रानी।।


ताकें  कृषक    सभी     नर - नारी।

अंबर     में      जनता       बेचारी।।

जीव- जंतु    तरु - बेल      सुहानी।

सुखद      सुहानी      वर्षा   रानी।।


मेढक      टर्र -टर्र      टर    करते।

मौन    रात    का     सारा   हरते।।

सुनें    'शुभम्'  की  अपनी  बानी।

सुखद     सुहानी     वर्षा    रानी।।


शुभमस्तु !


08.08.2024●11.30आ०मा०

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