मंगलवार, 20 अगस्त 2024

पर्व श्रावणी [ सजल ]

 359/2024

           

समांत     : आया

पदांत      : अपदांत

मात्राभार  :16.

मात्रा पतन : शून्य

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


मास      पाँचवाँ      सावन    आया।

पर्व    श्रावणी    आज       मनाया।।


भगिनी      राखी      लिए    पधारी।

भ्राता   ने   कर      में      बँधवाया।।


करती  भ्रातृ  -   भाल   पर   टीका।

घर  में    उत्सव  -  हर्ष     सवाया।।


कजरी  गीत    मल्हार    न    झूले।

फिर  भी  गीत  नेह    का   गाया।।


महक  रहा   घेवर     घर -  घर में।

मिल्क   केक  कोई   घर   लाया।।


बूरा    मधुर      सिवइयाँ     खाते।

अमराई    की    शीतल     छाया।।


पाँव   छुए   भगिनी     के    भैया।

बड़ी बहिन  का   आशिष   पाया।।


वचन   दिया   भगिनी  -  रक्षा का ।

सदा   रहे    भ्राता     का    साया।।


'शुभम्'      मनाएँ        रक्षाबंधन।

तन   -  मन   में   आनंद  समाया।।


शुभमस्तु !


18.08.2024●10.30प०मा०

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