359/2024
समांत : आया
पदांत : अपदांत
मात्राभार :16.
मात्रा पतन : शून्य
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
मास पाँचवाँ सावन आया।
पर्व श्रावणी आज मनाया।।
भगिनी राखी लिए पधारी।
भ्राता ने कर में बँधवाया।।
करती भ्रातृ - भाल पर टीका।
घर में उत्सव - हर्ष सवाया।।
कजरी गीत मल्हार न झूले।
फिर भी गीत नेह का गाया।।
महक रहा घेवर घर - घर में।
मिल्क केक कोई घर लाया।।
बूरा मधुर सिवइयाँ खाते।
अमराई की शीतल छाया।।
पाँव छुए भगिनी के भैया।
बड़ी बहिन का आशिष पाया।।
वचन दिया भगिनी - रक्षा का ।
सदा रहे भ्राता का साया।।
'शुभम्' मनाएँ रक्षाबंधन।
तन - मन में आनंद समाया।।
शुभमस्तु !
18.08.2024●10.30प०मा०
●●●
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें