मंगलवार, 20 अगस्त 2024

पर्व श्रावणी आज [ दोहा ]

 358/2024

        

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


पर्व  श्रावणी  आज  है,  घर -घर में आनन्द।

रक्षा का  बंधन  करे,  जन -जन को स्वच्छंद।।

भगिनी  बाँधे  हाथ  पर,  राखी-सूत्र अमोल।

अपने भ्राता को करे,प्रमुदित हृदय- हिलोल।।


घेवर   के    मिष्ठान्न    का,  रक्षाबंधन  पर्व।

अपने भ्राता    पर  करे,नारी सुहृद सु  गर्व।।

कजरी   भूलीं   नारियाँ,  भूलीं  गीत मल्हार।

अमराई    सूनी   पड़ी,   दुर्लभ    पूर्व बहार।।


सावन में  झर- झर  झरें , बरसें श्यामल  मेह।

चिकुर   भीगते   रीझते,स्नात कंचुकी   देह।।

रक्षक     सारे    देश   के ,  सीमा  पर तैनात।

नहीं   आ    सके   देहरी,  बाट देखती  मात।।


विदा    हुए    झूले  कहाँ, कजरी मेघ  मल्हार।

खोले  खड़ी   कपाट  दो, भगिनी अपना  द्वार।।

मधुर   सिवइयाँ    दूध  की, दधि बूरे के  साथ।

परस खिलाती बंधु को,लगा तिलक शुभ माथ।।


सजे  हुए  बाजार  हैं,  सज्जित  सभी  दुकान।

राखी  मधुर   मिठाइयाँ, सबकी  अपनी शान।।

मन  में  मोदक  फूटते, भगिनि  भ्रात का नेह।

पावनता  में   एक   ही,  तनिक  नहीं  संदेह।।


दिवस आठवें आ  रहा,कृष्ण जन्म का  पर्व।

सनातनी   प्रमुदित  सभी, पूजें कान्ह  सगर्व।।


शुभमस्तु !


18.08.2024●3.45प०मा०

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