सोमवार, 26 अगस्त 2024

पर्व सुपावन रक्षाबंधन [ गीतिका]

 368/2024

       


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


हरा  भरा   आया    शुभ   सावन।

पर्व        सुपावन       रक्षाबंधन।।


प्रमुदित  भगिनि  बाँधती    राखी,

भ्राता का  हर्षित  है   तन -  मन।


थाल   सजा   मिष्ठान्न    खिलाती,

पायल बजती  पद में  छन - छन।


लगा   भाल  पर    रोली  - टीका,

मुक्तावत    चमकें    अक्षत   कन।


पाँव  छुएँ     भगिनी    के   भैया,

भैया   देता   अमर   वचन   धन।


सनातनी    हिन्दू    के घर -   घर ,

आता  पर्व   मनोहर    प्रति  सन्।


'शुभम्'   भगिनि  नारी   को मानें,

हो न   देश में    कहीं    दनुजपन।


शुभमस्तु !


26.08.2024●8.30आ०मा०

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