368/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
हरा भरा आया शुभ सावन।
पर्व सुपावन रक्षाबंधन।।
प्रमुदित भगिनि बाँधती राखी,
भ्राता का हर्षित है तन - मन।
थाल सजा मिष्ठान्न खिलाती,
पायल बजती पद में छन - छन।
लगा भाल पर रोली - टीका,
मुक्तावत चमकें अक्षत कन।
पाँव छुएँ भगिनी के भैया,
भैया देता अमर वचन धन।
सनातनी हिन्दू के घर - घर ,
आता पर्व मनोहर प्रति सन्।
'शुभम्' भगिनि नारी को मानें,
हो न देश में कहीं दनुजपन।
शुभमस्तु !
26.08.2024●8.30आ०मा०
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