सोमवार, 26 अगस्त 2024

पर्व रक्षाबंधन [ सजल ]

 367/2024

              

समांत       :अन

पदांत        :  अपदांत

मात्राभार   :16

मात्रा पतन : शून्य


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


हरा  भरा   आया    शुभ   सावन।

पर्व        सुपावन       रक्षाबंधन।।


प्रमुदित  भगिनि   बाँधती   राखी।

भ्राता का  हर्षित  है   तन -  मन।।


थाल   सजा   मिष्ठान्न    खिलाती।

पायल बजती  पद में  छन - छन।।


लगा   भाल  पर    रोली  - टीका।

मुक्तावत    चमकें    अक्षत   कन।।


पाँव  छुएँ     भगिनी    के   भैया।

भैया   देता   अमर   वचन   धन।।


सनातनी    हिन्दू    के घर -   घर ।

आता  पर्व   मनोहर    प्रति  सन्।।


'शुभम्'   भगिनि  नारी   को मानें।

हो न   देश में    कहीं    दनुजपन।।


शुभमस्तु !


26.08.2024●8.30आ०मा०

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