367/2024 A
समांत :अन
पदांत : अपदांत
मात्राभार :16
मात्रा पतन : शून्य
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
हरा भरा आया शुभ सावन।
पर्व सुपावन रक्षाबंधन।।
प्रमुदित भगिनि बाँधती राखी।
भ्राता का हर्षित है तन - मन।।
थाल सजा मिष्ठान्न खिलाती।
पायल बजती पद में छन - छन।।
लगा भाल पर रोली - टीका।
मुक्तावत चमकें अक्षत बन।।
पाँव छुएँ भगिनी के भैया।
रक्षा के दे भैया सुवचन ।।
सनातनी हिन्दू के घर - घर ।
आता पर्व मनोहर प्रति जन।।
'शुभम्' भगिनि नारी को मानें।
हो न देश में कहीं दनुजपन।।
शुभमस्तु !
26.08.2024●8.30आ०मा०
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