369/2024
©शब्दकार
डॉ०भगवत स्वरूप 'शुभम्'
कूद - कूद कर
यमुना जल में
क्रीड़ा करते युवा किशोर।
तट पर सघन
झाड़ियाँ छाईं
जल में लहरें लहर अनेक।
हरी- हरी है
घास झुरमुटी
टर्र -टर्र करते बहु भेक।।
सुमन घास में
खिलते नन्हे
जल में उठता कलरव घोर।
मेरे जैसी
कौन लगाए
जल में लंबी बड़ी छलाँग।
होड़ लगाते
बाल परस्पर
करें सखा से ऊंची माँग।।
चले जा रहे
बढ़ते आगे
दूर बोलते वन में मोर।
अधनंगा है
कोई बालक
कोई वस्त्र पहन रंगीन।
भीगे सजल
देह पर लिपटे
कोई मोटे और महीन।।
'शुभम्' लग रहा
बरसेंगे अब
श्याम मेघ नभ से घनघोर।
शुभमस्तु !
27.08.2024● 1.00आरोहणम मार्तण्डस्य।
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