सोमवार, 26 अगस्त 2024

द्वापर युग के श्याम [ दोहा ]

 363/2024

          

[अच्युत,अलंकृत,गोरक्षक,सूर्यसुता,जन्माष्टमी]


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


                  सब में एक

भादों  कृष्ण  निशीथ में,अच्युत का  अवतार।

धन्य   हुईं   माँ  देवकी,  पितु  वसुदेव उदार।।

त्रेतायुग   के  राम  हैं, द्वापर   युग  के   श्याम।

अच्युत प्रभु  आनंदघन,अवध मधुपुरी   धाम।।


किया अलंकृत मातृ को,साथ जनक भी धन्य।

भाग्यवती  माँ  देवकी,  पितु   वसुदेव  अनन्य।।

ब्रज  में  मथुरा  धन्य  है,करें अलंकृत   श्याम।

सँग में  राधा   शक्ति  भी,  शुभ वृंदावन   धाम।।


गोरक्षक   गोपाल  की , ब्रज पर कृपा  अपार।

गोवर्धन   धारण   किया, रुकी   इंद्र जलधार।।

वास    करें  गो   मात  में,  देव  कोटि  तैंतीस।

गोरक्षक  बन  पूजिए, साहस कर   इक्कीस।।


सूर्यसुता   यमुना     नदी,  महिमा   अपरंपार।

नाग  कालिया  नाथ  कर,किया कृष्ण  उद्धार।।

सुरसरिता    गंगा   नदी, सूर्यसुता का    संग।

संगम   तीर्थ    प्रयाग  का,  नित्य नए   नवरंग।।


श्रीकृष्ण  जन्माष्टमी ,   का आया शुभ  पर्व।

सनातनी   पूजें   सभी,  धरे  हृदय  में   गर्व।।

संस्कृति पर है  गर्व अति,ब्रज में आए  श्याम।

कहलाती जन्माष्टमी,  हर्षित नर हर    वाम।।


                एक में सब

गोरक्षक   अच्युत हुए,  सूर्यसुता  के    तीर।

हुई   अलंकृत  मधुपुरी, जन्माष्टमी   प्रवीर।।


शुभमस्तु !


20.08.2024●11.00प०मा०

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