360/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
मास पाँचवाँ सावन आया।
पर्व श्रावणी आज मनाया।।
भगिनी राखी लिए पधारी,
भ्राता ने कर में बँधवाया।
करती भ्रातृ - भाल पर टीका,
घर में उत्सव - हर्ष सवाया।
कजरी गीत मल्हार न झूले,
फिर भी गीत नेह का गाया।
महक रहा घेवर घर - घर में,
मिल्क केक कोई घर लाया।
बूरा मधुर सिवइयाँ खाते,
अमराई की शीतल छाया।
पाँव छुए भगिनी के भैया,
बड़ी बहिन का आशिष पाया।
वचन दिया भगिनी - रक्षा का,
सदा रहे भ्राता का साया।
'शुभम्' मनाएँ रक्षाबंधन,
तन - मन में आनंद समाया।
शुभमस्तु !
18.08.2024●10.30प०मा०
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