342/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
बड़े काम का तिनका होता।
पार लगाता नहीं डुबोता।।
बनता कभी सहारा छोटा।
ढँकता इज्जत बना लँगोटा।।
गैर काम का उसे न जानें।
तिनके की खूबी पहचानें।।
चींटी को वह पार कराए।
तारक बन तिनका तब आए।।
यदि अपनी पर तिनका आता।
दूध छठी का याद दिलाता।।
किसी आँख में यदि गिर जाए।
अश्रुपात कर बहुत रुलाए।।
'शुभम् ' न व्यर्थ तनिक यों जानें।
तिनके की ताकत पहचानें।।
शुभमस्तु!
10.08.2024●4.30आ०मा०
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