बुधवार, 12 अगस्त 2020

कृष्ण कन्हैया वंशी वारे ◆ [ गीत ]◆

  

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✍ शब्दकार©

🐂 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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कृष्ण   कन्हैया    वंशी   वारे।

अँगुली   चक्र   सुदर्शन धारे।।


धेनु     चरैया    हे   गोपाला!

भटकें   गैयाँ बिन  गोशाला।।

मानव नहीं  आज   रखवारे।

कृष्ण   कन्हैया   वंशी वारे।।


पीकर दूध   सड़क पर छोड़ें।

गौमाता    से    नाता   तोड़ें।।

गाय -भक्ति के अभिनय वारे।

कृष्ण  कन्हैया    वंशी  वारे।।


चरतीं  फसलें  मिले न चारा।

कृषक रखाते  फसलें  हारा।।

बने सभी  हैं   विवश  बिचारे।

कृष्ण  कन्हैया    वंशी  वारे।।


दुर्घटना  सड़कों    पर  होतीं।

जहाँ - तहाँ जाकर गौ सोतीं।।

खाते   काट -  काट   हत्यारे।

कृष्ण   कन्हैया   वंशी  वारे।।


गो -सेवा  का अभिनय होता।

गोधन नौ  -  नौ  आँसू रोता।।

कहाँ   प्रशासन   के रखवारे?

कृष्ण  कन्हैया   वंशी   वारे।।


द्वापर  नहीं आज कलयुग है।

मात्र दिखावे   का नाटक है।।

अखबारों   ने    बादर   फारे।

कृष्ण   कन्हैया   वंशी  वारे।।


आओ   श्याम  बचाओ  गायें।

दिखावटी  जन  की माताएँ।।

'शुभम'जोड़ कर विनय उचारे

कृष्ण  कन्हैया   वंशी   वारे।।


💐 शुभमस्तु !


12.08.2020 ◆12.15अप.

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