रविवार, 2 अगस्त 2020

आज़ादी के नाम पर [ दोहा - ग़ज़ल]

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✍ शब्दकार©
🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम' 
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आज़ादी के नाम पर, मनमानी का रोग।
नई पौध में लग रहा,आज रहे वे  भोग।।

नारों  से  चलता नहीं, अपना भारत देश,
एक साल में एक दिन,करते हैं जन योग।

झंडारोहण कर लिया , रस्म हो  गई पूर्ण,
टोंटी से  जल बह रहा , कैसे- कैसे लोग।

बलिदानी  जो  वीर थे, किया देश आज़ाद,
गधे   पँजीरी खा रहे  , कैसा   है संयोग।

वादों  में  बरवाद  है , अपना भारत  देश,
मैं  ऊँचा  तू  नीच है,  बढ़ता जाता रोग।

पैसा  ही  माँ  - बाप  है,  करते  पापाचार,
कोरोना जिनका सखा, उनको मिला सुयोग।

'शुभम' कुएँ  में भाँग का,शर्बत  पीते रोज़,
भारत देश विनाश का, भोगें अबल कुयोग।

💐 शुभमस्तु !

02.08.2020◆11.45पूर्वाह्न।

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