सोमवार, 17 अगस्त 2020

अंडाहारी नर नहीं [दोहा ]

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✍ शब्दकार©

🌳 डॉ भगवत स्वरूप 'शुभम'

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-1-

अंडे में जब भ्रूण है,फ़िर क्यों शाकाहार?

रसना के रस  के लिए,देते तर्क  हज़ार।।


-2-

लवण सोडियमअधिक है,बढ़े रक्त का चाप।

हृदय  रोग इससे बने,अंडा इनका  बाप।।

-3-

लकवा, पथरी,कुष्ठ भी,अंडे से हैं जात।

कर्कट,गुर्दा,शुगर की,बीमारी का घात।।


-4-

अंडा खुजली-स्रोत है,कहते जिसको खाज।

माँसाहारी  जीव को, खाते हैं नर    आज।।

-5-

पीली जर्दी अंड की, कोलेस्ट्रॉल का स्रोत।

डीडीटी इसमें रहे,बुझती जीवन  - जोत।।।


-6-

दालें,  सोयाबीन    में,  प्रचुर स्रोत  प्रोटीन।

अंडे  से गुणवर सदा,शुभम न हो   बेदीन ।।


-7-

बालक अंडे खा रहे,रुकता बुद्धि विकास 

देह वृद्धि उनकी रुके,अंडे से तज आस।।


-8-

खाद्य नहीं अंडा कभी,रसना का व्यभिचार।

विज्ञानी  सब  कह रहे, आते  क्रूर  विचार।।


 -9-

 अंडा  खाते लोग जो, हो जाते  अश्लील।

दूषित उनके चरित हों,हों हिंसारत भील।।


-10-

अंडाहारी  नर नहीं,धर  मानव का  रूप।

तानाशाही में लगे, पतित क्रूरता - कूप।।


-11-

अंडा पूर्ण अखाद्य है, कहता मानव -धर्म।

खाओ  अपने अंग ही, छूकर देखो  मर्म।।


💐 शुभमस्तु !


17.08.2020 ◆ 11.30 पूर्वाह्न।

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