रविवार, 9 अगस्त 2020

लिया कॄष्ण अवतार [ दोहा ग़ज़ल]

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✍ शब्दकार©

🛕 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'

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 भाद्र कृष्ण शुभअष्टमी,लिया कृष्णअवतार।

पाप भार से मुक्त कर,देंगे जन -जन तार।।


काली आधी रात थी,नभ में काले मेघ,

पत्ता तक हिलता नहीं, सोए पहरेदार।


ताले   कारागार   के, स्वतः खुले आश्चर्य,

कृपा हुई है ईश की, खुले सहज सब द्वार।


चिंतित थीं माँ देवकी,सोच रहे वसुदेव,

चक्र सुदर्शन देखकर,उर में हर्ष अपार।


माँ को भय से भीत लख,हुए कान्ह शिशुरूप

आँचल में क्रीड़ा करें,लिया रूप नरधार।


रक्षा करने पुत्र की,जनक न किया विलम्ब,

लिटा सूप में चल पड़े,गोकुल यमुना  पार।


कालिंदी  में बाढ़ थी, स्वतः उतरता  नीर,

शेषनाग  ने छाँव कर, यमुना दिए उतार।


मित्र  नंद के  गेह में , जाकर यसुदा  पास,

कन्या  उनकी  अंक  ले, पहुँचे कारागार।


भोर हुआ लाली खिली,यसुदा नंद समोद,

लाला कान्हा आ गया, ब्रज में हर्ष अपार।


'शुभम' पापमोचन करें,हनें पूतना  कंस,

ब्रज रखवाला खेलता,छाई सुखद बहार।


💐 शुभमस्तु !


09.08.2020◆10.15 पूर्वाह्न।

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