गुरुवार, 6 अगस्त 2020

राम सर्वस्व [ मनहरण घनाक्षरी ]

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✍ शब्दकार ©
🛕 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
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-1-
राम,राम, राम, राम, पल पल भोर शाम,
सबसे  महान राम,  राम - राम  जपिए।
सुखद साकेत धाम,कहीं नहीं है  विराम,
विशेष या अन्य आम, राम ध्यान  तपिए।।
आया शुभ काल आज,सज गए सर्व साज,
कर ले हिंदुत्व नाज,तनिक नहिं   कँपिए।
कण - कण  रमे राम,अंतर से जप   राम,
एक नाम   राम नाम,  और नहिं   जपिए।।

-2-
जप राम रोम-रोम,धरा  सिंधु और व्योम,
भानु,वह्नि, नीर, सोम , राम का प्रताप  है।
नाम लेत कटें रोग,काल जाल मिटें शोक,
मानव बनें अशोक ,श्रेष्ठ  राम जाप   है।।
पाप नाश सब हुए,  लेश मात्र नहिं    छुए,
उद्धरे जो  नर   मुए,   नासते  संताप  हैं।
नरक  की न आग है,जहाँ राम राज   है,
'शुभम' का सुभाग है ,मिटे भव ताप    है।।

-3-
रामजी अनुराग हैं , मानव का सुभाग हैं,
मायापति विराग हैं, राम - राम  कहिए।
राम एक  आसमान,  सृष्टि में विराजमान,
आप  आप  के  समान,  जैसे रखें रहिए।।
राम  सृजन  सार  हैं, भगत की  गुहार  हैं,
प्रदान    में  उदार   हैं,  राम  पद   गहिए।
'शुभम'  धर्म द्वार हैं,सबका  ही उद्धार  हैं,
साकार   निराकार   हैं,  श्री सरित  बहिए।।

-4-
राम नाम नेह  बिंदु, राम धाम भक्ति सिंधु,
निशीथ  में  राम  इंदु , राम- ज्ञान   जानिए।
होता नहीं पत्र - पात,वे दिवस और   रात,
राम की कृपा हो साथ, राम- ध्यान मानिए।।
मृत्तिका का पात्र गात, दारा सुत नहीं भ्रात,
स्वार्थ  लिप्त  सर्व  साथ,  राम पहचानिए।
कर्म का ही मात्र साथ,जाएँ तव रिक्त हाथ,
राम  करते  सनाथ,  राम - हठ ठानिए।।

-5-
राम का ही रंग ओढ़, और रंग जीव  छोड़,
पाप की करो न होड़,राम    का   स्वदेश है।
राम ही  सदाचार हैं,  राम  ही सुविचार  हैं,
राम ही सुसंस्कार हैं, राम रहित क्लेश है।।
श्रीराम को न ढूँढ़ता,है मूढ़ की  ये मूढ़ता,
कुबुद्धि  की है कूढ़ता, अज्ञानता  में मेष है।
राम  यहाँ  राम  वहाँ , राम ही का  है  जहाँ,
'शुभम' नाम  राम का, पूत    परिवेश   है।।
🛕🚩 शुभमस्तु!

05 अगस्त 2020◆7.30अप.

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