रविवार, 23 अगस्त 2020

प्रथमेश्वर वरप्रद नमन! [ दोहा ]

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✍ शब्दकार©

🌷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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-1-

गौरीशंकर सुवन को, वंदन सौ - सौ   बार।

करूँ दंडवत नमन मैं, खोलें कृपा-किवार।।


-2-

प्रथम पूज्य प्रभु गज वदन विघ्नेश्वर गणनाथ

आया प्रभुजी द्वार मैं,शुभम झुकाता  माथ।


-3-

श्रीगणेश संकट हरें, संकट मोचक  आप।

पुण्यकार्य में निरत हों,करें नहीं हम पाप।।


-4-

निर्मल धी  मेरी करें,नीर क्षीर का   ज्ञान।

बुद्धिविधाता आप हो,गौरी सुत भगवान।।


-5-

शुभगुणकानन सिद्धि प्रिय,तरुणशुभं विघ्नेश

विघ्न नाश मेरे करें, मिटें सदन  के   क्लेश।।


-6-

प्रथमेश्वर वरप्रद नमन,विकट विनायक नाथ।

एकदंत रक्षा करें, विनत 'शुभम' का  माथ।।


-7-

एकाक्षर गजकर्ण प्रभु,अलम पता शिवपूत।

हस्तिवदन हे देवव्रत, महिमा सदा  अकूत।।


-8-

मृत्युंजय गणपति अनघ, लंबोदर  भवनाथ।

सदा कृपा प्रभु कीजिए, रहे शीश तव हाथ।।


-9-

नाथ  चतुर्भुज  अकृता, मंगल मूर्ति   महान।

'शुभम' लेखनी थाम कर,दे दें प्रभु वरदान।।


-10-

मूषकवाहन आइए,मोदक प्रिय  अवनीश।

भूपति मोदक पाइए,'शुभम' नवाता शीश।।


-11-

शशिवर्णी हे शांभवी,सुमुख सिद्ध  प्रियरूप।

शुभगुणकानन रुद्रप्रिय,सर्वात्मन सु स्वरूप।

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अलमपता=जिसका कोई भी विनाश नहीं कर सके।


अकृता=जिसकी सवारी मूषक हो।

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💐 शुभमस्तु !


22.08.2020◆12.15 पूर्वाह्न।

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