◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
✍ शब्दकार©
🌷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
-1-
गौरीशंकर सुवन को, वंदन सौ - सौ बार।
करूँ दंडवत नमन मैं, खोलें कृपा-किवार।।
-2-
प्रथम पूज्य प्रभु गज वदन विघ्नेश्वर गणनाथ
आया प्रभुजी द्वार मैं,शुभम झुकाता माथ।
-3-
श्रीगणेश संकट हरें, संकट मोचक आप।
पुण्यकार्य में निरत हों,करें नहीं हम पाप।।
-4-
निर्मल धी मेरी करें,नीर क्षीर का ज्ञान।
बुद्धिविधाता आप हो,गौरी सुत भगवान।।
-5-
शुभगुणकानन सिद्धि प्रिय,तरुणशुभं विघ्नेश
विघ्न नाश मेरे करें, मिटें सदन के क्लेश।।
-6-
प्रथमेश्वर वरप्रद नमन,विकट विनायक नाथ।
एकदंत रक्षा करें, विनत 'शुभम' का माथ।।
-7-
एकाक्षर गजकर्ण प्रभु,अलम पता शिवपूत।
हस्तिवदन हे देवव्रत, महिमा सदा अकूत।।
-8-
मृत्युंजय गणपति अनघ, लंबोदर भवनाथ।
सदा कृपा प्रभु कीजिए, रहे शीश तव हाथ।।
-9-
नाथ चतुर्भुज अकृता, मंगल मूर्ति महान।
'शुभम' लेखनी थाम कर,दे दें प्रभु वरदान।।
-10-
मूषकवाहन आइए,मोदक प्रिय अवनीश।
भूपति मोदक पाइए,'शुभम' नवाता शीश।।
-11-
शशिवर्णी हे शांभवी,सुमुख सिद्ध प्रियरूप।
शुभगुणकानन रुद्रप्रिय,सर्वात्मन सु स्वरूप।
.........................................
अलमपता=जिसका कोई भी विनाश नहीं कर सके।
अकृता=जिसकी सवारी मूषक हो।
.........................................
💐 शुभमस्तु !
22.08.2020◆12.15 पूर्वाह्न।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें