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✍ शब्दकार©
🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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झूला झूलें बाग में, राधा सँग घनश्याम।
चंदन की पटली सजी,रेशम डोर ललाम।।
झर-झर बूँदें झर रहीं,झोंटा दें ब्रजनारि,
गोपी ग्वाला आ रहे , छोड़ अधूरे काम।
वंशी बजती श्याम की, करें बाग में रास,
टेर सुनी सब दौड़तीं,तज कर अपने धाम।
अंबर में घन छा गए,चाँद हुआ है ओट,
आओ गाएँ नाच लें, करें नहीं विश्राम।
कोयल कूके डाल पर,नाचे गाए मोर,
झाड़ी आलिंगन करें ,लेती नहीं विराम।
स्वागत करने को खड़े,कुंज लताएँ पेड़,
राधा -राधा जप रहे,ले कान्हा का नाम।
रक्षाबंधन का दिवस,भ्रात बहन का प्यार,
कर में राखी बाँधतीं, बहनें ब्रज के धाम।
'शुभम' रहें ब्रजभूमि में,राधा नंद किशोर,
नित्य शिवम लीला करें,शतशः चरण प्रनाम।
💐 शुभमस्तु !
02.08.2020◆9.45 पूर्वाह्न।
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