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✍ शब्दकार©
🌾 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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अंडा शाकाहार नहीं है।
जीवन का आधार नहीं है।।
प्रभु ने क्या कुछ नहीं बनाया!
अन्न, दूध, फल,मेवा आया।।
इनकी तुलना कहीं नहीं है।
अंडा शाकाहार नहीं है।।
अंडे बीमारी दे जाते।
फिर भी मानव अंडे खाते।।
स्वाद जीभ का ठीक नहीं है।
अंडा शाकाहार नहीं है।।
है अखाद्य मुर्गी का अंडा।
दिल्ली मुंबई शहर भटिंडा।।
हिंसा मानव-धर्म नहीं है।
अंडा शाकाहार नहीं है।।
दाल ,दूध तज अंडा खाते।
जीवन भर वे नर पछताते।।
मानव हिंसक शेर नहीं है।
अंडा शाकाहार नहीं है।।
अंडे से हम तुम सब आए।
माँ के अंडे तुमने खाए??
'शुभम' यही आधार नहीं है।
अंडा शाकाहार नहीं है।।
💐शभमस्तु !
17.08.2020◆4.00अप.
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