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✍ शब्दकार©
☘️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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-1-
गु का अर्थ है तम घना,रु का ज्योति प्रकाश
गुरु ही ज्ञान प्रकाश है,करता जो तम नाश।।
-2-
गुरुवर के आशीष से, होते सारे काम।
मिले सफ़लता हर घड़ी,जग में चमके नाम।।
-3-
गुरु-वंदन गुरु का नमन,देता है वरदान।
विद्या बल धी वृद्धि हो,मिलता है जग नाम।
-4-
गुरु-चरणों की भक्ति से,राम हुए भगवान।
रावण दानव बन गया,कर शिवजी अपमान।
-5-
आरुणि उद्दालक हुआ,पा गुरु का आशीष।
धौम्य कृपा पूरी मिली,चरण युगल नत शीश
-6-
शिक्षालय में दे रहा,शिक्षा 'शिक्षक' नाम।
आचरणों से सीख दे,वह 'आचार्य' ललाम।।
-7-
वर्णाश्रम के धर्म से, देते 'कुलगुरु' सीख।
संस्कार के ज्ञान से, कहें न उसको भीख।।
-8-
'दीक्षागुरु' निज मंत्र से, दीक्षा दें भरपूर।
परंपरा के पंथ पर, अध्यातम का नूर।।
-9-
गुरु का भारी अर्थ है,सबसे भारी ज्ञान।
ज्ञानी गुरु निज शिष्य को,करता 'शुभं'महान।
-10-
हर द्विजाति का अग्नि गुरु,स्त्रीगुरु पति जान
अतिथि सभीका गुरु सुनें विप्र वर्ण का मान
-11-
है अंनत गुरु-महत्ता, महिमा करें बखान।
मानव को निर्मित करे,है वह श्रेष्ठ महान।।
💐 शुभमस्तु !
29.08.2020◆8.00पूर्वाह्न
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