शनिवार, 29 अगस्त 2020

गुरु-महिमा [ दोहा ]

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✍ शब्दकार©

☘️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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-1-

 गु का अर्थ है तम घना,रु का ज्योति प्रकाश

गुरु ही ज्ञान प्रकाश है,करता जो तम नाश।।


-2-

गुरुवर   के आशीष   से,  होते सारे    काम।

मिले सफ़लता हर घड़ी,जग में चमके नाम।।


-3-

गुरु-वंदन गुरु का नमन,देता है    वरदान।

विद्या बल धी वृद्धि हो,मिलता है जग नाम।


-4-

गुरु-चरणों की भक्ति से,राम हुए  भगवान।

रावण दानव बन गया,कर शिवजी अपमान।


-5-

आरुणि उद्दालक हुआ,पा गुरु का आशीष।

धौम्य कृपा पूरी मिली,चरण युगल नत शीश


-6-

शिक्षालय  में दे  रहा,शिक्षा 'शिक्षक'  नाम।

आचरणों से सीख दे,वह 'आचार्य' ललाम।।


-7-

वर्णाश्रम  के धर्म  से,  देते 'कुलगुरु'  सीख।

संस्कार  के ज्ञान से, कहें न उसको  भीख।।


-8-

'दीक्षागुरु'  निज  मंत्र से, दीक्षा दें  भरपूर।

परंपरा के  पंथ पर, अध्यातम का     नूर।।


-9-

गुरु  का भारी अर्थ  है,सबसे भारी    ज्ञान।

ज्ञानी गुरु निज शिष्य को,करता 'शुभं'महान।


-10-

हर द्विजाति का अग्नि गुरु,स्त्रीगुरु पति जान

अतिथि सभीका गुरु सुनें विप्र वर्ण का मान


-11-

है अंनत  गुरु-महत्ता,  महिमा करें   बखान।

मानव  को  निर्मित करे,है वह श्रेष्ठ  महान।।


💐 शुभमस्तु !


29.08.2020◆8.00पूर्वाह्न

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