गुरुवार, 6 अगस्त 2020

संयम [ अतुकान्तिका]

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✍ शब्दकार ©
🌈 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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संयम का पथ
रविवत सत
गतिमय अविरत
करता अक्षत 
नित प्रति
जीवन का व्रत।

जीवनगत तम
संभ्रम  मतिभ्रम,
हटाता है संयम
करता अनुदिन कम,
नृत्य करता 
लय गति सम
प्रशस्त होता पथ
उज्ज्वल क्रम।

संयम से बद्ध
प्रकृति जड़ चेतन
बनाता स्वगत संतुलन,
मन को वांछित है
अविराम संतुलन,
सफल नियंत्रण,
बनाता लयबद्ध
अंग तन।

सहज संयम 
नहीं देता व्यतिक्रम
भरता अपार बल,
मिटा देता है
'मेरा'   'मैं'  'हम',
विजन वनपथ में
हरता हर संभ्रम।

बहता ज्यों सहज
शीतल मंद पवन,
ताप का करता
सहज शमन,
वही है
मानव जीवनगत संयम।

सरित का 
सलिल प्रवाह,
अहर्निश अविराम
कलकल छलछल
जल ही जल
निर्मल अविकल
संयम का क्रम।

  मानव का
 आचार विचार व्यवहार,
खोलता है
अवरुद्ध सफलता द्वार ,
नहीं होती 
जीवन भर हार,
सदा ही पाता 
वह उपहार,
संयमगत चमत्कार।

पाना है
जीवन में
वैभव सुयश,
संयम से होता 
सहज उपार्जित,
सहस्रों गुणा सहज
होते हैं
दारिद्र्य अपयश
तहस -नहस।

संयम से वैराग्य
गृहस्थ आश्रम
छात्र जीवन
एक तप,
सबका अपना
एक पृथक नियम,
'शुभम' शुभता शिवमय
सुंदरम हरदम,
सृष्टि का सम
निश्चित लय-गति में
संयम ही संयम।

💐 शुभमस्तु !

06.08.2020 ◆5.45अपराह्न।

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