सोमवार, 31 अगस्त 2020

श्री गुरवे नमः [ दोहा ]


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✍ शब्दकार©

🌷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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श्रीचरण  गुरवे नमः, सादर नमन  प्रणाम।

कृपा शिष्य पर कीजिए,पल पलआठों याम।


इष्टमार्ग  पर मैं  चलूँ,  दिख लाओ पथ ईश।

चरण युगल वन्दन करूँ,झुका दंडवत शीश।


तिमिर हटा अज्ञान का,दें गुरु ज्ञान प्रकाश।

अंतर का सूरज उगे, हो  जाए तम   नाश।।


अनगढ़ माटी है 'शुभम',गुरु ही सिरजनहार।

जिस  साँचे में  ढाल दें, मिले वही  आकार।।


ज्ञान- नेत्र मम बंद हैं,गुरु कर परस  महान।

माटी को  जीवन मिले,मिले देह को जान।।


प्रभु-पद मंजिल दूर है,करें शांति शुभ पात।

दिव्यज्योति गुरु की मिले, मिटे अँधरी रात।


'गु'ही अँधेरा जीव का,गुरु का 'रु'ही प्रकाश।

है अंनत महिमा'शुभं,क्षण में हो तम नाश।


धरती पर गुरु दिव्य हैं,कहाँ दिव्यता शेष!

माटी को कंचन करें,मानव के शुभ   वेष।।


गुरुप्रसाद जिसको मिला, जीवन होता धन्य।

जग-वन में भटका करे,मानव तन में वन्य।।


सतगुरु को पहचान कर,पाएँ गुरु आशीष।

डाल-डाल पर कूदते,बने रहे नर  - कीश।।


भवसागर  से पार जो,करता है गुरु  साँच।

शुभं तपाता शिष्य को,विमल ज्ञान की आँच।


💐 शुभमस्तु !


31.08.2020●12.15अपराह्न।


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