सोमवार, 3 अगस्त 2020

तरुण तराने [ राष्ट्रभक्ति गीत ]

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✍ शब्दकार ©
🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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आज़ादी    के   तरुण  तराने,
कौन   यहाँ     पर  गाता  है!
लाल   किले  की  प्राचीरों से,
नेता    ध्वज    फहराता  है!!

खोए  हैं सब अपने  सुख में,
आज़ादी     मनमानी      है।
बँगलों   में   रहने   वालों ने,
कब  आज़ादी   जानी  है ??
ए. सी . में    सोता   है नेता,
जनता    को    भरमाता  है।
आज़ादी  के   तरुण  तराने ,
कौन  यहाँ    पर  गाता है??

जिस   माता   ने पूत  गँवाया,
उसको    किसने   जाना  है ?
बलिदानी  बलिदान   हो गए,
कितनों   ने   पहचाना    है??
पहन    बगबगे  कपड़े  नेता ,
फूल     चढ़ाने     जाता    है।
आज़ादी  के    तरुण  तराने,
कौन  यहाँ    पर गाता   है??

बंकर  में    रहने    वालों का ,
सुख -दुःख किसने जाना है!
मात -  पिता   कैसे  जीते हैं,
मिला  न   पानी  - दाना है!!
होली  और   दिवाली  कैसी,
सैनिक  सबका    त्राता  है।
आज़ादी   के  तरुण  तराने ,
कौन  यहाँ  पर   गाता  है??

रस्म     अदा    करते  हैं नेता,
अखबारों      में   छप  जाते!
सैनिक  वीर   जवानों के घर,
करने  में    कुछ    शरमाते!!
घड़ियाली  आँसू    ही केवल,
नयनों    में     भर    पाता है।
आज़ादी  के   तरुण   तराने,
कौन  यहाँ   पर    गाता  है!!

अपने  सुख की भेंट चढ़ाकर,
महनारियाँ     जीती        हैं।
मन ही   मन में   घुटती  हैं वे,
मौन    अश्रुकण   पीती   हैं!!
सैनिक की पत्नी का दुखड़ा,
समझ  न   कोई   पाता   है।
आज़ादी    के  तरुण  तराने ,
कौन   यहाँ    पर  गाता है??

मातृभूमि    की रक्षा  के हित,
सैनिक     प्राण    गँवाते   हैं।
कुछ   पैसों   को  देकर नेता,
अपना   फ़र्ज़    निभाते  हैं।।
हृदय - वेदना   उस नारी की,
'शुभम'   नहीं   कह पाता है।
आज़ादी  के    तरुण  तराने ,
कौन    यहाँ   पर  गाता है??

कितने हृदय विशाल तुम्हारे,
जो   सेना   में   भेज  दिया।
अपने उर का प्यारा टुकड़ा,
जिनको  इतना नेह  किया।।
सौ -सौ  बार नमन माँ -बापू,
'शुभम'  अश्रु   भर लाता है।
आज़ादी    के  तरुण तराने ,
कौन    यहाँ    पर गाता है??

💐 शुभमस्तु !

03.08.2020◆3.00अपराह्न।

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