गुरुवार, 12 दिसंबर 2024

शिक्षक है आजीवन शिक्षक [अतुकांतिका]

 383/2024

   


© शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


शिक्षक

रहे सर्वदा शिक्षक

आजीवन दायित्व निभा,

निवृत होता नहीं 

कर्म से

आज या कि कल

जो बीता।


अन्य सभी

अधिकारी मंत्री

सांसद या कि 

विधायक हो,

भूतपूर्व ही

 कहलाता है

भले नगर अधिनायक हो।


वर्तमान में

शिक्षक जीता

बढ़ता जाता

ज्ञान -उजास,

अन्य सभी की

आँखें मुंदतीं

भूत भूत हाँ 

और न खास!


भूतपूर्व

पुलिस का डंडा

सरकंडा बन

झुक जाता,

अधिकारी 

अधिकार शून्य हो

रॉब नहीं 

दिखला पाता।


'शुभम्' बड़ा

सौभाग्य तुम्हारा

जो शिक्षक हो

आजीवन,

दर्जी बनकर

सिलते रहना

फटे हुओं की

हर सीवन।


शुभमस्तु !


05.09.2024●11.15आ०मा०

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