सोमवार, 23 दिसंबर 2024

जीते हैं कुछ [ सजल ]

 

567/2024

            

समांत        : आते

पदांत         :  अपदांत

मातृभार     :   16.

मात्रा पतन  :  शून्य


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


नहीं     गरजते    जो   बरसाते।

धरती  का कण-कण    हर्षाते।।


बातें    बड़ी - बड़ी    गढ़ते   हैं।

बढ़चढ़    कर    कोरे   इतराते।।


करने  से   पहले   न    खोलते।

भेद  कर्म  का  कुछ  कर पाते।।


सूरज  सोम  मौन   ही   चलते।

अग-जग  में प्रकाश  भर जाते।।


जीते  हैं  कुछ   खाने  भर  को।

करते कम  अधिकाधिक  खाते।।


बने  हुए   कुछ  भार   धरा  का।

चलते   हैं     इठला     मदमाते।।


'शुभम्' सफल है जीवन उनका।

जिनके  गीत  सभी   जन गाते।।


शुभमस्तु !

16.12.2024● 4.45आ०मा०

                 ●●●

[5:04 am, 16/12/2024] DR  BHAGWAT SWAROOP: 568/2024

               नहीं गरजते

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