गुरुवार, 12 दिसंबर 2024

क्या नया खास है! [ नवगीत ]

 564/2024

     


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


कवियों में

क्या नया खास है।


हाड़-माँस की 

वही देह हैं,

नौ- नौ सबके

द्वार गेह हैं,

महाकाव्य लिखता है कोई

कोई रचता उपन्यास है।


एक सदृश 

दिल   सबका  धड़के,

 ये  कवि है 

क्या कुछ भी बढ़ के ?

ब्रह्मलोक में विचरण करता

रहता नित नव भाव वास है।


कहते 

रवि मंडल से ऊपर,

उड़ता है 

कवि रहे न भू पर,

'शुभम्' न कहता गप्प वृथा ये

समझ न लेना कहीं हास है।


शुभमस्तु !


12.12.2024●2.30प०मा०

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