563/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
कली में है
सृजन -शृंखला का तीसवाँ फूल।
शब्दों की लतिकाएँ
शब्दों के पेड़,
शब्दों के पल्लव दल
शब्दों की मेड़,
कहीं लगीं हैं बाड़
कहीं नियम गया भूल,
हरी - नम्र फली में है
सृजन-शृंखला का तीसवाँ फूल।
हर फूल की
अपनी अलग ही सुगंध है,
कहीं कोई व्यंग्य
कहीं कविता निर्बंध है,
कुंडलिया या गीतिका
दिया चौपाई दोहा को तूल,
शोध - कृति में ये
सृजन -शृंखला का तीसवाँ फूल।
पद्य की विद्योत्तमा
गद्य के कालिदास हैं,
सृजन की लतिका पर
बारह मास मधुवास है,
ओढ़ा दिया 'शुभम्' ने बस
अक्षर -शब्द का दुकूल,
हेमंत में प्रस्फुटित हो
सृजन -शृंखला का तीसवाँ फूल।
शुभमस्तु !
12.12.2024●2.00पा०मा०
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