बुधवार, 11 दिसंबर 2024

चिंतन करना देश हित [ दोहा ]

 558/2024

          

         [चिंतन,देर,रेत,राह,चरण]

                  

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


                   सब में एक

चिंतन कर   ले  ईश का,हे नर मूढ़   अजान।

प्राण   पखेरू  जाएँगे,  उड़  ऊपर ले   मान।।

चिंतन करना  देश हित,जन -जन का कर्तव्य।

नहीं जानता एक भी,शुभद अशुभ भवितव्य।।


करना  हो  शुभ काज जो,करे न पल की देर।

पल-पल से जीवन बना,कब हो क्या  अंधेर।।

जीवन  में  पछता  रहे,  करते  समय  विनष्ट।

सोते  जगते  देर  से,  प्राप्त   करें वे    कष्ट।।


समय  मुष्टिका   में  भरी ,सुरसरिता की  रेत।

कण- कण  जाए  रीत सब,भरे भले बहु  खेत।।

उल्लंघन   मत रेत   का,   करना मानव   मूढ़।

सोच पड़े  यदि  आँख में, अनल यान  आरूढ़।।


राह  वही    उत्तम   सदा, प्राप्त  करे     गंतव्य।

चलना  नहीं  कुराह  में,लक्ष्य न मिलता भव्य।।

पता   न  हो यदि राह का, ज्ञात करें  सद  राह।

वृथा    सदा   भटकाव  है, पथ होता  अवगाह।।


युगल चरण पितु  मात के,संतति को वरदान।

जो   जितनी  सेवा  करे,  उतना  बने   महान।।

मित्र सुदामा- कृष्ण का,  कितना प्रेम   पुनीत।

चरण युगल  धो  मित्र के, करते याद   अतीत।।


                एक में सब 

चरण पड़े जो रेत में,  शुभद  न   लगती  राह।

चिंतन करके  देर तक,  शीतल करते    दाह।।


शुभमस्तु !


10.12.2024●10.45प०मा०

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