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✍️ शब्दकार©
🕉️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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शिव - साधना शक्ति बिन तेरी,
होती नहीं कभी भी पूरी।
शक्ति बिना शिव शव रह जाते,
मिलती बस साधक को धूरी।।
शिव ही सत्य, शुभम, सुंदरतम,
प्राणदायिनी गौरी माता।
माँ के चरणों में नतमस्तक,
होकर शिव को जो भी ध्याता।।
नहीं अन्य देवों पर जाकर,
शिव से नहीं बनाता दूरी।
शिव - साधना शक्ति बिन तेरी,
होती नहीं कभी भी पूरी।।
स्नेह - वत्सला दुर्गा माँ हैं,
पाप - शाप अघ - ओघ नसातीं।
सिद्धिदात्री महा सरस्वति,
नेह - सुधा सुत पर बरसातीं।
प्रीता , आद्या , जया , भवानी,
टिकती नहीं अघों की छूरी।
शिव - साधना शक्ति बिन तेरी,
होती नहीं कभी भी पूरी।।
शुभम, षडानन , संग भवानी,
भामिनि, भाव्या शिव के सँग में।
कृपा - वृष्टि बहती गंगा की,
महातपा रहतीं निज रँग में।।
चित्रा , आद्या माँ भवमोचनि,
ज्ञाना, मातंगी , कर्पूरी।।
शिव - साधना शक्ति बिन तेरी,
होती नहीं कभी भी पूरी।।
बहुल शस्त्रहस्ता निमेष में,
अरि दल की संहार कारिणी।
नारायणी , बुद्धिदा , नित्या,
कालरात्रि भव - सिंधु तारिणी।।
शिव - विमोहिनी, महाबला तुम,
भक्त - साधना न हो अधूरी।
शिव - साधना शक्ति बिन तेरी,
होती नहीं कभी भी पूरी।।
मात अपर्णा - सा जो तप हो,
साधक 'शुभम' लक्ष्य पाता है।
लक्ष्मी , शुभा , अनंता माँ के,
आजीवन शुभ गुण गाता है।।
नूर शांभवी , महोदरी का,
प्रसरित है माँ दुर्गा नूरी।।
शिव - साधना शक्ति बिन तेरी,
होती नहीं कभी भी पूरी।।
🪴 शुभमस्तु !
११.०३.२०२१◆३.००पतनम मार्तण्डस्य।
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