बुधवार, 31 मार्च 2021

चोर -चोर सब भाई! [ गीत ]

 

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✍️ शब्दकार ®

🫐 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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हमें    प्रशंसा     की  हर मदिरा  ,

लगती         आज   सुहानी    है।

युग  -  युग से  ये चली आ रही !

बिगड़ी      हुई      कहानी     है।।


सुनते    नहीं   और   की  बातें,

मात्र        सुनाना        आता।

सुनने     की   बारी   आए  तो,

वह     बहरा    बन    जाता।।

'मेरी    सुनो'   बात वह  कहता,

  ये     हर    हाल     सुनानी    है।

हमें   प्रशंसा    की  हर मदिरा ,

 लगती        आज   सुहानी    है।



पाँव - पाँव   चलने  वालों को,

कौन      देख       पाता      है!

चार    गोल  पहियों पर उड़ता,

उड़ता        ही     जाता     है।।

मानव     के  ऊपर  दानव  की,

फिर  से    कथा     पुरानी     है।

हमें     प्रशंसा    की  हर मदिरा ,

 लगती          आज   सुहानी    है।


खाने      से   बेहतर   होता  है,

मक्खन         खूब     लगाना।

गोबर   अश्व- लीद   के  ऊपर,

मख़मल       रजत    सजाना।।

चमचे      से   बन    रहे भगौने,

यह   भी    बात     बतानी     है।

हमें     प्रशंसा     की  हर मदिरा ,

 लगती         आज   सुहानी    है।


जब  चाहे   वेतन  बढ़वा  लो,

संविधान       यह     कहता।

कर्मी,   अधिकारी   मर जाएँ,

बहरा  बन     कर     सहता।।

प्रजातंत्र   इसको    कहते  हैं,

 ये   चुपचाप       पचानी      है।

हमें    प्रशंसा   की  हर मदिरा ,

 लगती      आज   सुहानी    है।।


गबन, मिलावट   करने  वाले,

छुट्टा       साँड़         टहलते।

लिए   नमूने   चले   गए  जो,

लेकर      दाम       बहलते।।

अपनी   - अपनी मनमानी की,

सब  चुकतान    चुकानी        है।

हमें     प्रशंसा   की  हर मदिरा ,

 लगती          आज   सुहानी है   ।।


धरती  पुत्र   जिसे   कहते  हैं,

ज़हर     अन्न    में      भरता।

शाक,दूध,फल  ज़हर  भरे हैं,

देश     ज़हर     खा   मरता।।

कोरोना    का   दोष  नहीं है,

 ये    नर   को    चितलानी    है।

हमें     प्रशंसा    की  हर मदिरा ,

 लगती         आज   सुहानी है   ।।


झाँकें हम  सब  निजी गरेबाँ,

चोर -  चोर     सब      भाई।

लिए  छुरे   फिर रहे  देश में,

मानव      बने        कसाई।।

चेतावनी     मात्र     कोरोना,

करनी   ये   समझानी       है।

हमें     प्रशंसा   की  हर मदिरा ,

 लगती       आज   सुहानी है   ।।


🪴शुभमस्तु !


३१.०३.२०२१◆८.१५ पतनम मार्तण्डस्य।

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