सोमवार, 8 मार्च 2021

टीका लगवाएँ सभी [ कुंडलिया ]


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✍️ शब्दकार©

🧬 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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                   -1-

टीका  लगवाएँ  सभी, कहती है    सरकार।

कोरोना से बच सकें, इसीलिए    दरकार।।

इसीलिए  दरकार,सभी  जाएँ   नर -   नारी।

मन के भ्रम को त्याग,बढ़ाकर संख्या भारी।।

शुभं प्रथम की खोज,देश का मक़सद नीका।

पहुँच शीघ्र ही केन्द्र,सभी लगवाएँ   टीका।।


                       -2-

भारत की यह खोज नव,लगा हुआ विज्ञान।

ज्ञानी - विज्ञानी लगे, बढ़ा  देश  का   मान।।

बढ़ा  देश का  मान, विश्व   में बजता डंका।

कोरोना  की नाक,काट जलवा दी    लंका।।

'शुभम'न करना शंक,हमें है मिली महारत।

अमरीका   नैपाल  ,सराहें  मेरा      भारत।।


                     -3-

कोरोना  से  मुक्ति की ,मिली हमें    वैक्सीन।

त्राहि -त्राहि है विश्व में,पृथक देश का सीन।।

पृथक  विश्व का सीन,दीन है दुनिया  सारी।

माँग  रहे  सब देश,न आए फिर  बीमारी।।

भारत  बायोटेक, दे  रहा अब मत   सोना।

टीका  को- वैक्सीन,'शुभम' मरता कोरोना।


                       -4-

थोड़ा समय निकालकर, लगवाएँ वैक्सीन।

हरता है  जन प्राण को, कोरोना ज्यों मीन।।

कोरोना  ज्यों  मीन,मरे पानी  बिन प्यासी। 

प्राण - वायु  हो क्षीण,घरों में बढ़े   उदासी।।

'शुभम' बुरा  है  रोग, पड़े कोरोना -  कोड़ा।

त्राहि -त्राहि से त्राण,समय दो थोड़ा -थोड़ा।।


                     -5-

फैली  है  जन -  भ्रांति ये,टीका  है   बेकार।

करें  सियासत  देश में,बैठे जो उस  पार।।

बैठे  जो  उस पार,नहीं जनता-हित सोचा।

खड़ा कर रहे रोज, देश के दुश्मन  लोचा।।

'शुभम' खोल निज नेत्र,नहीं भाड़े की रैली।

लगवाओ वैक्सीन ,त्याग शंका जो  फैली।।


🪴 शुभमस्तु !


०८.०३.२०२१◆५.००पतनम मार्तण्डस्य।


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