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✍️ शब्दकार©
🎋 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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मैं गोरी जहरीली चीनी।
मैंने सबकी सेहत छीनी।।
हृदय रोग मैं ही लाती हूँ।
मनोभ्रंश मैं करवाती हूँ।।
समझो नहीं मुझे रसभीनी।
मैं गोरी जहरीली चीनी।।
मोटापा तन में लाती हूँ।
वज़न बढ़ाती ही जाती हूँ।।
लत मैं बनी नशे की झीनी।
मैं गोरी ज़हरीली चीनी।।
मुझसे होती जिगर विफलता।
रक्त - शर्करा - स्तर बढ़ता।।
जिनको ज़्यादा चीनी पीनी।
मैं गोरी ज़हरीली चीनी।।
स्मृति को मैं हरने वाली।
मानस - कारज चरने वाली।।
चयापचय की मर्ज नवीनी।
मैं गोरी ज़हरीली चीनी।।
मैं अवसाद सुधारा करती।
ऊर्जा के स्तर को भरती।।
घाव भरूँ ऐसी भी चीनी।
मैं गोरी ज़हरीली चीनी।।
निम्न रक्त का चाप सुधारा।
गुर्दा, गठिया रोग उभारा।।
गन्ने का उत्पाद ज़मीनी।
मैं गोरी ज़हरीली चीनी।।
🪴शुभमस्तु !
३१.०३.२०२१◆१२.१५पतनम मार्तण्डस्य।
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