बुधवार, 17 मार्च 2021

रंगोत्सव-किलोल 💃🏻 [ कुंडलिया ]

 

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                          -1-

होली  भारत  देश   का , रंग भरा  त्यौहार।

रँग हों प्रेम सुभाव के,सुरसरि- सा  व्यौहार।।

सुरसरि-सा व्यौहार,सभी को पावन करता।

आपस का सद्भाव,घाव उर के सब   भरता।।

'शुभम' कपट से दूर,वचन वाणी  रस घोली।

यही  एकता  मंत्र , तभी मन भावन   होली।।


                         -2-

होली का  रँग- पर्व  ये,भारत का   संस्कार।

मिटा हृदय के कलुष को,कर लें मनुज सुधार

कर लें  मनुज  सुधार ,सुनें संदेश  रँगों  का।

बने रहें  रंगीन, न बिगड़े भाव  लबों  का ।।

'शुभम' न कटुता शेष, रहे मधु जैसी  बोली।

डालें  रंग   गुलाल, प्रेम  से खेलें  होली।।


                         -3-

बदला  युग बदली हवा,बदल गए  हैं  लोग।

बाहर भीतर विष भरा, नए आ  रहे  रोग।।

नए  आ  रहे  रोग,  कौन खेले अब    होली।

कोरोना  का  काल,  विषैली मानव   बोली।।

विष  वाले  ही   रंग, भरा है उर   में गदला।

होली  के  दिन बैर, निकालें लेकर  बदला।।


                      -4-

गुझिया   में मैदा  भरी, संग परिष्कृत   तेल।

चर्बी सिकीं जलेबियाँ, उधर मिलावट खेल।।

उधर  मिलावट खेल,  दूध में गड्ढा -  पानी।

मिला   यूरिया   खाद, मौन  हैं राजा - रानी।।

'शुभम' रंग बदरंग, पर्व   की बैठी  बधिया।

होली  कैसे  आज , मनाएँ खाकर  गुझिया।।


                         -5-

आलू पत्थर हो  गया ,देख मनुज की चाल।

जहर  भरी  सब्जी हरी, कौवा बना  मराल।।

कौवा  बना   मराल, बने दुश्मन   हलवाई।

मिला  जहर के  रंग,बनाते सभी    मिठाई।।

'शुभम'न रंग की धार,रही असली सुन कालू।

होली मने न आज, चिप्स का पाहन  आलू।।


✍️ शुभमस्तु !


१७.०३.२०२१◆१०.००आरोहणम मार्तण्डस्य।


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