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✍️ शब्दकार ©
🌹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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आओ हिंदी - दिवस मनाएँ।
लिखें, पढ़ें ,बोलें , बुलवाएँ।।
हमें नहीं है बैर किसी से,
बंद पड़ी खिड़की खुलवाएँ।
नए - नए शब्दों को खोजें,
शब्दों की सरिता बहवाएँ।
जागें शब्दकार, कवि सारे,
संस्कृति भूल नहीं हम जाएँ।
टीना, रिंकू, सिंटू भूलें,
विमल,प्रतीक्षा ,यश कहलाएँ।
नाम निरर्थक क्यों रखते हैं,
शुभ नामों से सद्गुण पाएँ।
जननी ,जन्मभूमि, माँ-बोली,
इनका नित सम्मान बढ़ाएँ।
हिंदी गौरव हिंदी सौरभ,
हिंदी में ही हृदय रमाएँ।
रक्षासूत्र बाँध हिंदी के,
'शुभम' हिंद के पूत कहाएँ।
🪴 शुभमस्तु !
१२.०९.२०२१◆१२.१५ पतनम मार्तण्डस्य।
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