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✍️ शब्दकार ©
🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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जिसने शमा जलाई है।
कर दी जगत - भलाई है।।
अंधा बाँटे रेवड़ियाँ,
अपनी ओर कलाई है।
माले - मुफ़्त न दिले रहम,
क्या रुख़सार ललाई है!
मतलब जो पूरा कर दे,
निज शुभचिंतक भाई है।
आग लगाना सरल यहाँ,
हर कर दियासलाई है ।
पैदल को दी साईकिल,
बोला चली - चलाई है।
'शुभम' न बहे पसीना भी,
चाहे मधुर मलाई है।
🪴 शुभमस्तु !
१२.०९.२०२१◆११.३०आरोहणं मार्तण्डस्य।
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