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समांत: अना।
पदांत: लेंगे।
मात्रा भार: 18
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✍️ शब्दकार ©
⛲ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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रूठ जाओगे तो मना लेंगे।
बिगड़े हुओं को भी बना लेंगे।।
बजते हों अगर नहीं घंटे,
पाँव उचका के घनघना लेंगे।
सुन्न हो जाएँ जो कर - पाँव कभी,
नाच - कूदेंगे छनछना लेंगे।
हमसे रूठा नहीं रहे कोई,
दूर जाओ नहीं, अपना लेंगे।
'शुभम'न मिले अधिकार जो अपना,
वरना दे - दे के धरना लेंगे।
🪴 शुभमस्तु !
१३.०९.२०२१◆१०.४५ आरोहणम मार्तण्डस्य।
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