सोमवार, 13 सितंबर 2021

ग़ज़ल /सजल 🌴


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समांत:   अना।

पदांत:     लेंगे।

मात्रा भार: 18

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✍️ शब्दकार ©

⛲ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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रूठ     जाओगे      तो    मना लेंगे।

बिगड़े   हुओं   को  भी    बना लेंगे।।


बजते      हों     अगर     नहीं  घंटे,

पाँव   उचका     के    घनघना लेंगे।


सुन्न  हो  जाएँ  जो  कर - पाँव कभी,

नाच   -     कूदेंगे      छनछना  लेंगे।


हमसे     रूठा      नहीं     रहे   कोई,

दूर     जाओ      नहीं,  अपना  लेंगे।


'शुभम'न मिले अधिकार जो अपना,

वरना    दे -  दे     के    धरना  लेंगे।


🪴 शुभमस्तु !


१३.०९.२०२१◆१०.४५ आरोहणम मार्तण्डस्य।


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