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शब्दकार ©
🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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हिंदी अपनी माता है।
कहने में क्या जाता है??
कॉन्वेंट में संतति है,
मात - पिता को भाता है।
विकल वितृष्णा हिंदी से,
अंग्रेज़ी से नाता है!
संस्कार से हीन हुआ,
पश्चिम में मदमाता है।
हिंदी पिछड़ों की भाषा,
पिछड़ा ही अपनाता है।
ढोल दूर के मधुर लगें,
सुनता है बजवाता है।
माँ की भाषा गँवई है,
कहता और सिखाता है।
सदा समर्पित हिंदी को,
राता, गाता, ध्याता है।
हिंदी - माटी से जन्मा,
'शुभम' सहज कहलाता है।
🪴 शुभमस्तु !
१२.०९.२०२१◆११.४५आरोहणं मार्तण्डस्य।
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