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समांत : ओध।
पदांत : है।
मात्रा भार:16.
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✍️ शब्दकार ©
☘️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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सदा न अच्छा कभी क्रोध है।
क्या इसका तुमको न बोध है??
जान - छान कर नेह करो तुम,
होता उचित न ही विरोध है।
फूँक - फूँक कर कदम बढ़ाएँ,
करना हमको सफ़ल शोध है।
कीकर नीम सभी हितकारी,
छायाकारी न्यग्रोध है।
जो चलते हैं सही राह पर,
उनके पथ में सदा रोध है।
सबका भला - बुरा पहचानें,
क्या मानव इतना अबोध है?
'शुभम' सभी जीवों से मानव,
पीता वह भी मातृ - ओध है।
मातृ-ओध =माँ का स्तन।
🪴 शुभमस्तु !
१३.०९.२०२१◆१.००पतनम मार्तण्डस्य।
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