सोमवार, 13 सितंबर 2021

ग़ज़ल /सजल 🌻


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समांत :  ओध।

पदांत  :    है।

मात्रा भार:16.

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✍️ शब्दकार ©

☘️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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सदा     न     अच्छा   कभी  क्रोध     है।

क्या    इसका     तुमको  न  बोध    है??


जान -   छान     कर   नेह   करो   तुम,

होता    उचित        न   ही   विरोध   है।


फूँक   -    फूँक    कर    कदम    बढ़ाएँ,

करना     हमको      सफ़ल  शोध      है।


कीकर          नीम       सभी हितकारी,

छायाकारी                 न्यग्रोध      है।


जो     चलते     हैं        सही  राह   पर,

उनके    पथ       में      सदा   रोध  है।


सबका             भला  -    बुरा   पहचानें,

क्या       मानव       इतना   अबोध   है?


'शुभम'      सभी        जीवों   से   मानव,

पीता    वह     भी       मातृ - ओध   है।


मातृ-ओध =माँ का स्तन।


🪴 शुभमस्तु !


१३.०९.२०२१◆१.००पतनम मार्तण्डस्य।


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