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✍️ शब्दकार ©
👮♂️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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बच्चा - बच्ची वीर बनेगी।
दुश्मन को शमशीर तनेगी।।
हम आगे बढ़ने वाले हैं।
हम तलवार, तीर, भाले हैं।।
ऊँचा रहे तिरंगा प्यारा।
आन - बान है वही हमारा।।
शान न इसकी जाने देंगे।
जान शत्रु की हम ले लेंगे।।
दृष्टि अगर टेढ़ी जो करता।
करनी का फल ही वह भरता।
अपना देश हमें है प्यारा।
देता है संबल नित न्यारा।।
पहले हमको लिखना- पढ़ना।
फिर हमको आगे है बढ़ना।।
सदा प्रगति करनी है हमको।
हमें मिटाना है हर तम को।।
'शुभम'चरित निज उज्ज्वल करना।
यही ध्येय निज उर में धरना।।
🪴 शुभमस्तु !
११.०१.२०२२◆८.०० आरोहणं मार्तण्डस्य।
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