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समांत : अल।
पदांत :नहीं है।
मात्राभार :16.
मात्रा पतन: नहीं ।
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✍️ शब्दकार ©
🪦 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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जीना इतना सरल नहीं है
टिकता कब जो सबल नहीं है
परिश्रम से मिलता है अमृत
यहाँ- वहाँ सब गरल नहीं है
चौपाई आधार छंद है
हर चौपाई सजल नहीं है
कितना घाघ आज का मानव
पानी जैसा तरल नहीं है
काम सभी संभव हैं जग में
कमी मात्र उर विमल नहीं है
चारों अँगुली असम रूप की
हर मानव - उर धवल नहीं है
'शुभम' पंक से बाहर आजा
खिलता घर में कमल नहीं है
🪴 शुभमस्तु !
०३.०१.२०२२◆६.१५ आरोहणं मार्तण्डस्य।
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