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✍️ शब्दकार ©
🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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फहराया नभ प्रबल तिरंगा,
रहे न कोई भूखा नंगा,
बहती रहे रात दिन अविरल,
राष्ट्र एकता की शुचि गंगा।1
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रंग - रंग का देश हमारा,
गंगा, यमुना , सरयू धारा,
अभिसिंचन कर देतीं जीवन,
राष्ट्र एकता का दें नारा।2
🇮🇳🌾🇮🇳🌾🇮🇳🌾🇮🇳
खंड - खंड में जो बँट जाते,
मिटने का वे पथ अपनाते,
सुदृढ़ सशक्त बनें जन सारे,
राष्ट्र एकता मंत्र सुनाते।3
🇮🇳🌾🇮🇳🌾🇮🇳🌾🇮🇳
अपना उदर श्वान भी भरते,
अपने ही हित जीते - मरते,
मानव ,पशु-जीवन से ऊपर,
राष्ट्र एकता परहित करते।4
🇮🇳🌾🇮🇳🌾🇮🇳🌾🇮🇳
धर्म, कर्म सबका है अपना,
देखें 'शुभम' एक ही सपना,
मानवता से विलग न होना,
राष्ट्र एकता के हित तपना।5
🪴 शुभमस्तु !
२५.०१.२०२२◆११.४५आरोहणं मार्तण्डस्य।
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