मंगलवार, 25 जनवरी 2022

राष्ट्र एकता 🌾🇮🇳 [ मुक्तक ]


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✍️ शब्दकार ©

🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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फहराया   नभ  प्रबल तिरंगा,

रहे   न   कोई   भूखा    नंगा,

बहती  रहे रात दिन  अविरल,

राष्ट्र एकता की शुचि गंगा।1


🇮🇳🌾🇮🇳🌾🇮🇳🌾🇮🇳


रंग -  रंग  का    देश   हमारा,

गंगा,   यमुना  ,  सरयू  धारा,

अभिसिंचन कर देतीं जीवन,

राष्ट्र एकता  का  दें  नारा।2


🇮🇳🌾🇮🇳🌾🇮🇳🌾🇮🇳


खंड - खंड में  जो  बँट जाते,

मिटने का   वे  पथ  अपनाते,

सुदृढ़ सशक्त  बनें  जन सारे,

राष्ट्र एकता  मंत्र   सुनाते।3


🇮🇳🌾🇮🇳🌾🇮🇳🌾🇮🇳


अपना  उदर श्वान  भी  भरते,

अपने ही  हित  जीते -  मरते,

मानव ,पशु-जीवन  से ऊपर,

राष्ट्र एकता परहित करते।4


🇮🇳🌾🇮🇳🌾🇮🇳🌾🇮🇳


धर्म,  कर्म  सबका  है अपना,

देखें 'शुभम' एक   ही सपना,

मानवता से  विलग  न होना,

राष्ट्र एकता के हित तपना।5


🪴 शुभमस्तु !


२५.०१.२०२२◆११.४५आरोहणं मार्तण्डस्य।

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