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✍️ शब्दकार ©
🪴 डॉ. भगवत स्वरूप ' शुभम
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मेरा देश मुझे अति प्यारा।
बहती गंगा - यमुना धारा।।
उत्तर में हिमगिरि प्रहरी है।
घाटी हरी - भरी गहरी है।।
दक्षिण में सागर है न्यारा।
मेरा देश मुझे अति प्यारा।।
केसरिया, सित, हरा तिरंगा।
पहनें जन पट रंग - बिरंगा।।
बहु भाषाओं का शुभ गारा।
मेरा देश मुझे अति प्यारा।।
संस्कृति अपनी है बहुरंगी।
सब नर - नारी भी हैं संगी।।
सूरज चमके चाँद सितारा।
मेरा देश मुझे अति प्यारा।।
है वसंत ऋतुओं का राजा।
बजा रहा भौंरों का बाजा।।
महक उठा है देश हमारा।
मेरा देश मुझे अति प्यारा।।
ऋतुओं की रानी है वर्षा।
बरसें बादल जन -जन हर्षा।।
हरा खेत, वन, उपवन सारा।
मेरा देश मुझे अति प्यारा।।
दूध दे रहीं भैंसें, गायें।
मंदिर में जा प्रभु गुण गाएँ।।
धर्म - कर्म हो अपना चारा।
मेरा देश मुझे अति प्यारा।।
'शुभम' गीत भारत के गाएँ।
सदाचार के ढँग अपनाएँ।।
विश्व विजय कर देता नारा।
मेरा देश मुझे अति प्यारा।।
🪴 शुभमस्तु !
०४.०१.२०२२◆१२.१५
पतनम मार्तण्डस्य।
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