बुधवार, 19 जनवरी 2022

तेरे पग मंजीर -ध्वनि 🏕️ [ दोहा ]


[मंजीर, मेदिनी,बारूद, चीवर,कलिका]

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✍️ शब्दकार ©

🌻 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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           🧡 सब में एक  🧡

तेरे पग मंजीर-  ध्वनि,रसमय  होते  कान।

उर में लहरें उठ रहीं, लिया तुम्हें  पहचान।।

बाँधूँगी मंजीर से,  कान्हा सुन  लो   बात।

माखन  खाने   दूँ नहीं,बहुत हुई   है  रात।।


धारण  करती मेदिनी,हम सबका यह  भार।

धीरज की प्रतिमा सदा, मानें नित उपकार।।

सकल मेदिनी धर खड़े,हिम आवृत हे मीत!

छाया जल-थल पर बड़ा,भुवन भयंकर शीत


बिछा  ढेर बारूद का,सुप्त सकल  संसार।

प्रभु जग की रक्षा  करें, देना संकट   तार।।

क्यों बाले! बारूद-सी,भड़क  रही हो आज।

मैंने क्या ऐसा  कहा,बतलाओ वह   राज।।


सोई   महलों  में  रही, यशोधरा   वर  नारि।

तन पर चीवर धारकर,गए त्याग सुकुमारि।

चीवर बस कपड़ा नहीं,जगत-मोह का त्याग

नर,नारी,सुत,राज का,है सम्पूर्ण   विराग।।


सुंदर कलिका देखकर,खिलता उर का फूल

विकसित अधरों की कली,हटा रही हर शूल

तन-मन में कलिका खिली,यौवन है साकार

मधुलोभी  भौंरे   चले, पाने रस  -  उपहार।।


   🧡 एक में सब 🧡

जीवन चंचल मेदिनी,

               कलिका भी बारूद ।

चीवर सँग मंजीर की,

                     नहीं नाच या कूद।।


*मंजीर -1.घुँघरू 2. मथानी के डंडे से बाँधने का स्तम्भ।


🪴शुभमस्तु!


१९.०१.२०२१◆७.३०आरोहणं मार्तण्डस्य।

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