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✍️ शब्दकार ©
🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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आ गया है शुभ तिरंगा।
देश का गौरव तिरंगा।।
बलिदान का रँग केसरी,
शांति का सित रँग तिरंगा।
लहलहाती फसल जैसा,
हरित लहराता तिरंगा।
शान ध्वज की कम न होवे,
तन खड़ा भू पर तिरंगा।
नोंच लें वे आँख अरि की,
देखता जल कर तिरंगा।
गणतंत्र गायन कर रहा ,
भा रहा नभ पर तिरंगा।
सत 'शुभम' सम्मान उर में,
भारती का प्रण तिरंगा।
🪴 शुभमस्तु !
२४.०१.२०२२◆१.४५
पतनम मार्तण्डस्य।
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