सोमवार, 10 जनवरी 2022

ग़ज़ल ☘️

 

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✍️ शब्दकार ©

🌾 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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ये    ऊँट    की    करवट।

करती है  बड़ी    खटपट।।


आबाद     हुईं      गलियाँ,

खाली    हैं पड़े    पनघट।


 सब    घोड़े   हार    चुके,

और गधे  चले     सरपट।


जारी    भी   कोसना    है,

भारी      लगे      अटपट।


कीचड़     उछाल    होली ,

चौपाल    सजे    जमघट।


हम भी   तो   चाहें  कुर्सी,

तू जा परे  को  हट  - हट।


किस्सा -ए-  कुर्सी    देखो,

चोरों  को  मिले   झटपट।


🪴शुभमस्तु !


०९.०१.२०२२◆६.१५ आरोहणं मार्तण्डस्य।

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