मंगलवार, 4 जनवरी 2022

सूरज ,चाँद, चाँदनी, तारे 🌞 [बालगीत]

 

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✍️ शब्दकार ©

🌞 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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सूरज,  चाँद,   चाँदनी ,  तारे।

दिए  ईश  ने  हमको   प्यारे।।


मोल  ईश  ने  नहीं  लिया  है।

जन-जन पर उपकार किया है

हम  हैं   उनकी  देन   सहारे।

सूरज,  चाँद,  चाँदनी,  तारे।।


धरती, हवा, गगन  या  पानी।

अनल - तेज के  जाने मानी।।

नित  शुभकारी    हैं  ये  सारे।

सूरज, चाँद,   चाँदनी ,  तारे।।


सरिता ,पर्वत     देते    पानी।

जड़-चेतन हित बनी कहानी।

बादल ने कृषि, खेत   सुधारे।

सूरज, चाँद,  चाँदनी ,  तारे।।


छः ऋतुओं की शोभा न्यारी।

लगे एकरस   जीवन   भारी।।

प्रभु - रचना से  हैं  हम  हारे।

सूरज,चाँद,   चाँदनी ,  तारे।।


'शुभम'उऋण प्रभु से क्यों होना।

वही   जागरण   उससे  सोना।।

लगा ईश   के  नित   जयकारे।

सूरज,  चाँद,  चाँदनी ,  तारे।।


🪴शुभमस्तु !


०४.०१.२०२२◆११.००आरोहणं मार्तण्डस्य।

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