26/2023
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छंद विधान:
1.यह 32 वर्ण का एक वर्णिक छंद है।
2.इसमें 16,16 वर्ण पर यति होता है।
3.अंत में गुरु लघु का ($1)आना अनिवार्य है।
4.सभी सम पद, विषम -विषम -सम पद, सम विषम -विषम पद उत्तम होते हैं,
किंतु विषम -सम-विषम पद वर्जित हैं।
5.इसमें चार समतुकांत चरण होते हैं।
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-1-
आया गणतंत्र पर्व, उर में उत्साह गर्व,
संविधान मान्य सर्व,झूम उठी सद्य भोर।
एकतान पग - ताल, हर्ष में विभोर लाल,
नाच रही डाल-डाल, रोमांचित पोर-पोर।।
एक ध्वज तीन रंग ,लाट भी अशोक संग,
गौर है हिमाद्रि तुंग,कूक रहे मत्त मोर।
रहें सह हेल -मेल, डाल शत्रु के नकेल,
खेल रंग भरे खेल, शांति रहे चहुँ ओर।।
-2-
एकता का एक मंत्र, सुदृढ़ हो लोकतंत्र,
आप हम सब यंत्र,गूँज उठे शून्य छोर।
स्वावलंबिता आधार, शांति प्रेम का प्रसार,
धारें उच्चता विचार, भाव में हो -हो विभोर।।
देश प्रेम नीति गीत, जाए जम ठोस शीत,
कंठ उर हों सतीत , आनंदाश्रु की हिलोर।
देश हो अखंड एक, देश जन धीर नेक,
होवे जाग्रत विवेक, खिलें पुण्य चहुँ ओर।।
-3-
खड़ा खेत में किसान, अड़ा सीमा पे जवान,
देश दोनों से महान, लहकती कोर - कोर।
अन्न फल दत्त एक, रक्षा- सूत्र हैं अनेक,
राष्ट्रधर्म मात्र टेक, पावनी भू को अगोर।।
हित भरा शब्दकार,दिया काव्य को निखार,
भाव- माल्य उपहार,चमकती स्वर्ण - भोर।
नगर या गाँव- गाँव ,खेत वन सैन्य- ठाँव,
धूप-मेघ, द्रुम-छाँव,सौख्य वृष्टि चहुँ ओर।।
-4-
देश के महान वीर, थामे हुए शमशीर,
शत्रु- वक्ष दिया चीर,कंपित हैं छोर-छोर।
शांतिपूर्ण रहे देश, धरे कोई देह वेश,
भागें नहीं किंतु लेश,देशभक्ति की हिलोर।।
छोड़ा घर परिवार, मोह-लोभ को निवार,
किए रिपु मार छार, सीमा में प्रविष्ट चोर।
हमें है महान गर्व,करें अभिमान खर्व,
शत्रु -दल नष्ट सर्व, धूम मची चहुँ ओर।।
-5-
बीत रही श्याम रात, होने लगी है प्रभात,
माघ मास शीत गात, नाच उठे छत मोर।
कोहरा सफेद धूम, मेदिनी अनंत चूम,
यहाँ - वहाँ घूम- घूम,दूध-सी उजेली भोर।।
शीत ने सताए कीर,खग -वृंद हैं अधीर,
मात्र तमचूर वीर ,गली- गली करें शोर।
गाय, भैंस, मेष ढोर,ठंड है प्रचंड घोर,
सुन्न हुआ पोर -पोर,छाई शीत चहुँ ओर।।
🪴शुभमस्तु !
14.01.2023◆1.00
पतनम मार्तण्डस्य।
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