सोमवार, 2 जनवरी 2023

आया नववर्ष 🌱 [ नवगीत ]

 004/2023

  

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✍️ शब्दकार ©

🪦 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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कुहरा की

रातों में

आया नववर्ष।

प्रमुदित हैं

नारी -नर

लाया शुभ हर्ष।।


डाली पर

गाती है

पिड़कुलिया गीत।

सूरज भी

मुस्काया 

डाले उपवीत।।


वांछा है

जन - जन का

होगा उत्कर्ष।


क्यारी में 

फूले हैं

गेंदे के फूल।

शीतल है

मौन दबी

पाँव तले धूल।।


छूमंतर 

साजन सँग

सजनि का अमर्ष।


बीते दिन

रातें जो

हुई कई भूल।

क्षमा उन्हें

कर देना

मत देना तूल।।


पानी बन

बह जाए

अश्रु -अपकर्ष।


ठिठुराई

 रातें हैं

चादर में सु- दिन।

काँप रहे

तारागण

घड़ियाँ रहे गिन।।


कुक्कड़ कूँ

तमचूरी

करते-से विमर्श।


🪴 शुभमस्तु!


02.01.2023◆11.30 आरोहणम् मार्तण्डस्य।


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