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✍️ शब्दकार ©
👩👩👧👦 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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सम्मेलन मूषक करें, म्याऊँ से भयभीत।
मार्जारी आए नहीं, खोज रहे वह रीत।।
सम्मेलन में कवि सभी,पढ़ें काव्य सुविचार।
सुनें न कोई अन्य की,बहती है रसधार।।
नेता आए मंच पर, करके बड़ा विलम्ब।
सम्मेलन मतदान का,चली घृणा की बम्ब।।
रोचक सम्मेलन बड़ा,महिला गातीं गीत।
शादी का ज्योनार है,गाली उघड़ अभीत।।
गगनांचल में मेघदल, उमड़े हैं घनघोर।
सम्मेलन करने लगे, लगे नाचने मोर।।
सम्मेलन करने लगे,जुड़े आठ - दस पंच।
जनता की सुनते नहीं,अधर उठाए मंच।।
सम्मेलन के नाम पर, चंदा माँगा ढेर।
जिसने कीं जेबें गरम,तना बना वह शेर।।
सम्मेलन होली -मिलन,गुझिया के सँग भंग।
भाभी आईं खेलने, देवर जी के संग।।
सम्मेलन यह जीव का, धरती पर अवतार।
शत्रु - मित्र कोई बने, बनता कोई भार।।
आपस में मिलते सभी, कारण है अज्ञात।
सम्मेलन नर-नारि का,पति- पत्नी की बात।
पूर्व जन्म के शत्रु भी,मिल जाते हैं गैल।
सम्मेलन करके यहाँ, पिघलाते निज मैल।।
🪴शुभमस्तु !
25.01.2023◆4.45
पतनम मार्तण्डस्य।
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