सोमवार, 30 जनवरी 2023

सद्गुण से सम्मान 🪴 [ गीतिका ]

 53/2023


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✍️ शब्दकार ©

🪂 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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कर्म  - पुंज   पहचान  बनाते।

पत्थर को  भगवान   बनाते।।


जाती   रात    अँधेरी   काली,

दिनकर विमल विहान बनाते।


सुमधुर स्वर लय के प्रवाह में,

मन - अनुरंजक  गान बनाते।


नेह   एकता  सर्जक  घर   के,

स्वेद - बिंदु  नव छान  बनाते।


भौतिकता में क्या सुख  ढूँढ़े?

सद्गुण  ही   सम्मान  बनाते।


समय  चढ़ाता  मंजिल  ऊँची,

नर - पुंगव    सोपान   बनाते।


'शुभम्' न भूले मानव गुण को,

गुड़ - से  गुण   इंसान  बनाते।


🪴 शुभमस्तु !


30.01.2023◆7.30 आरोहणम् मार्तण्डस्य।


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