गुरुवार, 19 जनवरी 2023

वृक्ष -रसोई ☘️ [बालगीत ]

 33/2023

     

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✍️ शब्दकार ©

🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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हरा -  हरा   अंबर   के  नीचे।

खेत, बाग,वन, सब  बाग़ीचे।।


झाड़, पेड़, शाकें , वन, बेलें।

हरे   रंग   के  कपड़े   ले लें।।

वर्षा  ऋतु   में   बादल सींचे।

हरा -हरा  अंबर   के   नीचे।।


इसमें  कोई    भेद   छिपा है।

सबको नहीं कभी दिखता है।

प्रकृति कोख में अपनी भींचे।

हरा -  हरा   अंबर   के नीचे।।


कहते  पकती   वहाँ   रसोई।

जान सका ये   कोई -  कोई।।

पर्ण  हरित  के  खुले   दरीचे।

हरा - हरा  अंबर    के  नीचे।।


धूप  निकलती भोजन बनता।

गैस  आदि  सँग उसके जलता।

पौधा तब निज भोजन खींचे।

हरा  - हरा   अंबर   के नीचे।।


'शुभम्' रसोईघर  तरुवर का।

पल्लव हरा लता के घर का।।

लेते विटप   नयन  को  मींचे।

हरा -  हरा   अंबर   के नीचे।।


🪴शुभमस्तु !


17.01.2023◆7.45 पतनम मार्तण्डस्य।

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