33/2023
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✍️ शब्दकार ©
🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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हरा - हरा अंबर के नीचे।
खेत, बाग,वन, सब बाग़ीचे।।
झाड़, पेड़, शाकें , वन, बेलें।
हरे रंग के कपड़े ले लें।।
वर्षा ऋतु में बादल सींचे।
हरा -हरा अंबर के नीचे।।
इसमें कोई भेद छिपा है।
सबको नहीं कभी दिखता है।
प्रकृति कोख में अपनी भींचे।
हरा - हरा अंबर के नीचे।।
कहते पकती वहाँ रसोई।
जान सका ये कोई - कोई।।
पर्ण हरित के खुले दरीचे।
हरा - हरा अंबर के नीचे।।
धूप निकलती भोजन बनता।
गैस आदि सँग उसके जलता।
पौधा तब निज भोजन खींचे।
हरा - हरा अंबर के नीचे।।
'शुभम्' रसोईघर तरुवर का।
पल्लव हरा लता के घर का।।
लेते विटप नयन को मींचे।
हरा - हरा अंबर के नीचे।।
🪴शुभमस्तु !
17.01.2023◆7.45 पतनम मार्तण्डस्य।
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